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महिला हमारे जीवन में कई रूपों में सामने आती है ! उसका मातृ रूप सबसे सशक्त है ! मेरी माँ मेरे लिए समस्त संसार में सबसे प्रिय हैं ! मैं उनके अपने जीवन में योगदान को शब्दों में नही बता सकता हूँ ! क्या कोई भी शब्द , कोई भी अभिवादन सूचक वाक्य या कोई अन्य आभार प्रकट करने के तरीके से मै इस बात से उऋण हो सकता हूँ कि आज मेरा अस्तित्व उन्ही की वजह से है ? कौन सी ऐसी बात है जो मैंने सीखी हो और उसमे उनका योगदान न हो ? और इस प्रत्युत्तर में मैंने उन्हें क्या दिया ? उनकी आशावों पर अपने सपनों को ही तो आरोपित किया है मैंने अब तक ! मेरे एक एक बड़े सपनों के लिए उन्होंने न जाने कितनी छोटी छोटी खुशियों का त्याग किया ! कितनी बार एक ही गलती को दोहराया है लेकिन उन्होंने क्षमा दान देने में कभी ढिलाई नही की !
मैं उन बातों की कमी साफ़ महसूस करता हूँ ! अब मै बड़ा हो गया हूँ , अब वो मुझे नही डांटती हैं ,, पहले की तरह अधिकार से मारने को भी उद्यत नही होती हैं ! किन्तु गलत बातों को कभी स्वीकार नही किया उन्होंने ! आज समाज में व्याप्त माँ के प्रति उदासीनता से शायद वो संकोच करने लगी हैं कि कहीं मैं भी उन कपूतों कि तरह न व्यवहार करूँ !
वो दृश्य आज भी याद आता है ! मेरा भाई बाहर से खेल के लौटा हुआ है ! मै बरामदे में पढ़ रहा हूँ ! उसका पैर नंगे पड़े तार पर पड़ा और शरीर बिजली के तेज झटकों से काम्पने लगा ! आंगन में माँ कपडे छांट रही थी , कि मेरी चीख सुनके दौड़ी उन्होंने बिना इस बात का परवाह किये कि उनके हाथ भीगे हैं तार को हाथ से ही अलग किया उसके शरीर से ! ये माँ है !
जब भी घर में माहौल खराब होता है , मै झट से जाके उनके पीछे छिप गया हूँ , और एक बार साक्षात् काल भी उनके रक्षण में मेरा बाल भी बांका करने में हजार बार सोचेगा ! उन्हें रोते हुए भी देखा है , उनके लिए मै कुछ भी कर सकता हूँ! मै उनके लिए हजार बार मरने कि इच्छा रखता हूँ बस वो हर बार मेरी माँ हो !
क्या लिखूं , कोई शब्द नही ये औपचारिकता लग रही है इस भाव को प्रकट करने का कोई शब्द नही पर फिर भी मै कोशिश कर रहा था उसी अज्ञानी लड़के कि तरह जो अज्ञानी होते हुए भी खुद को बहुत बड़ा ज्ञानी समझता है !
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