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क्या आप भूत प्रेतो पर विश्वास करते हैं ? क्या आपने भूत देखा है ? ऐसे सवाल हमारे सामने अक्सर आते हैं ! हम उसका जवाब देते समय या तो वैज्ञानिक सोच को आधार बना कर भूत प्रेतों के अस्तित्व को ही मना कर देते हैं , या फिर एकदम से उसके अस्तित्व को मान ही लेते हैं ! किन्तु इन दोनों ही स्थितियों में हमारे उत्तर का कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नही होता है ! हम पारम्परिक बातों , या फिर वैज्ञानिक हठधर्मिता को ही देखते हैं ! इन दोनों में कोई संतुलन बनाने की बात नही होती है ! दोनों ही पक्ष हठधर्मी हैं !
मैंने इस विषय पर बहुत विचार किया , उपलब्ध पुस्तकों , धार्मिक ग्रंथों एवं खुद के अनुभवों को साधन बनाकर अन्वेषण किया ! और इसी अन्वेषण के आधार पर मै इस विषय पर अपने विचार को प्रस्तुत कर रहा हूँ ! पारम्परिक रूप से भूत को बुरी आत्मा बताने के कोशिश की जाती है ! या यदि कोई व्यक्ति किसी अपूर्ण इच्छा को मन में लिए असमय मृत्यु को प्राप्त होता है तो भी उसे प्रेतत्व की प्राप्ति होती है ! कई अन्य विचार हैं जो भूत को एक आत्मा ही समझते हैं !
और इसी बात को आधार बनाने में मुझे भूत के अस्तित्व पर संदेह उत्पन्न हो गया ! क्यूंकि आत्मा कभी भूत नही हो सकती ,, आत्मा कभी बुरी या अच्छी नही हो सकती वह तो इन बातों से निर्लिप्त है ! आत्मा तो सर्वथा शुद्ध एवं निष्कलंक है वो किसी वस्तु की इच्छा नही कर सकती ! और ऐसा हमारे धर्म शास्त्र कहते हैं ! जब इस आत्मा को कोई भी मार नही सकता , कोई उद्वेग नही पंहुचा सकता तो भला आत्मा प्रेतत्व को कैसे प्राप्त हो सकती है ! अतः मैंने इस विचार को एक सिरे से अस्वीकार कर दिया कि भूत बुरी आत्मा है ! किन्तु भूत के अस्तित्व को नकारने में अंतिम प्रमाण नही मिल सका !
तभी एक पुस्तक प्राप्त हुई जिसमें लिखा गया था कि हमारे दो शरीर नही तीन शरीर होते हैं – १. हाड मांस का बना स्थूल शरीर २ . मन बुद्धि एवं चेतना त्रय का सूक्ष्म शरीर ३. कारण शरीर जो सर्वथा निर्लिप्त एवं साक्षी भाव से होती है जिसे हम आत्मा भी कहते हैं !
जब किसी व्यक्ति कि मृत्यु होती है तो उसके स्थूल शरीर का विनाश हो जाता है और कारण शरीर अपने शुद्ध शरीर को प्राप्त होता है ! किन्तु उस व्यक्ति के मन बुद्धि एवं चेतना का क्या? मेरे विचार से इसका क्षय नही होता ये मृत्यु के पश्चात भी अस्तित्व में रह जाते हैं ,, और वातावरण में अपना प्रभाव जरुर रखते हैं ! क्या इच्छावों का विनाश हो सकता है ? क्या मन वृद्धत्व को या मृत्यु को प्राप्त हो सकता है ? क्या चेतना का ह्रास हो सकता है !
बहुत विचार करने पर ये निष्कर्ष निकला के ये अस्तित्व में रहते हैं ! और शायद जब कोई सामान्य बुद्धि का मनुष्य या कम तेज वाले मन का व्यक्ति इनके प्रभाव क्षेत्र में आता है तो ये उस पर व्यापक प्रभाव डालते होंगे !
अतः इन्ही को हम भूत कह सकते हैं ! किन्तु पारम्परिक रूप से इन्हे जितना खतरनाक या प्रभावशाली बताया जाता है ! उतना प्रभावशाली नही होते ! इनके प्रभाव में आये व्यक्ति की मानसिक चिकित्सा सम्भव है !
अतः हमे इनसे अनावश्यक रूप से भयभीत होने कि आवश्यकता नही है ! आप लोग भी अवश्य इस विषय पर विचार कीजियेगा और अपने विचारों को हैम सबमे साझा अवश्य कीजिये !
जय श्री हरि ,, जय श्री कृष्ण !
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