मन के मोती
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काश मै जान पाता ,
उनके दिल की बात ,,,,,,,
उतर पाता गहरे सागर में ,
मोतियाँ मिलती न मिलती ,
इक शुकून होता कि मैंने कोशिश तो की ,,,,,,,,,
काश वो समझ पाते की मै डरता नही डूब जाने से ,
मन में उठती लहरों को साहिल मिला ही नही
बस इतनी सी बात है !,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बंद कर रक्खे थे दरवाजे किसलिए
काश वो समझ पाते !
वो जगह मिलती जहाँ बस वो और हम होते ,
जिम्मेदारियां , भाग-दौड़ जैसी बातें न होती जहाँ
काश वो खुद कहते अपने दिल की बातें या फिर !!
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