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गोमांस : मीडिया प्रायोजित दुष्प्रचार

मन के मोती
मन के मोती
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दादरी में तथाकथित रूप से गोमांस पकाने एवं उसे खाने के अफवाहों के बीच धर्मोन्मादी भीड़ ने एक ५० वर्षीय व्यक्ति की वीभत्स हत्या कर दी ! गोमांस -भक्षण पर कई राज्यों में लगे प्रतिबंध की वजह से ये पहले से ही लोगों के बीच चर्चा का विषय रहा है और इस घटना ने इसे लेकर हम सबको उद्वेलित कर दिया !
इस पर लगभग सभी दल राजनैतिक हानि एवं लाभ के आकलन के अनुसार बयानबाजी में लिप्त हुए ! जहाँ राजनेतावों को इस जघन्य अपराध की वजह से भय एवं आशंका में जी रहे लोगों को आश्वस्त करना चाहिए था , उन्होंने अपने वक्तव्यों से उन्हें और भयग्रस्त ही कर दिया , हिन्दू-मुस्लिम की खाई बढ़ाई ही गयी !
खैर राजनेता तो अपने राजनैतिक समीकरण के अनुसार ही चलेंगे ,किन्तु सबसे ख़राब और गैर-जिम्मेदाराना रवैया तथाकथित लोकतंत्र के चतुर्थ स्तम्भ मीडिया की दिखी ! उन्होंने इस घटना के परिप्रेक्ष्य में ऐसा दृश्य उपस्थित किया जैसे कि भारत में अब साम्प्रदायिकता फ़ैल चुकी है ! जैसे यहाँ हिन्दू -मुस्लिम साथ में रह ही नहीं सकते हैं! वो सत्य को बिगड़े रूप में दिखाना चाह रहे हैं !
कुछ राजनैतिक दल , मीडिया एवं तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग के लोगो के अनुसार ये सब भारतीय जनता पार्टी के केंद्र में आने की वजह से हुआ है ! कुछ ने अपने हिसाब से हिंदुत्व की व्याख्याएं कर डाली , पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री मार्कंडेय काटजू ने तो यह तक कह दिया की उनकी नजर में गाय को माँ मानने वाले मुर्ख हैं , गाय महज एक पशु है ! एक अन्य बुद्धिजीवी शोभा डे ने ट्वीट कर के कहा की मैंने गोमांस खाया है आवो और मार डालो !
इन सबको ये जान लेना चाहिए की गाय हिंदुत्व में पूज्यनीय है , पूर्व में गाय हिन्दू समाज के लिए आर्थिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण रही है ,, हिंदुवो के आराध्य भगवान श्री कृष्ण भी गोभक्त थे ! आज भी कई यज्ञो एवं पूजा विधियों में पंचद्र्व्य का प्रयोग होता है ! हमारे देश में कामधेनु , कपिला एवं नंदिनी जैसी गायों का सम्यक इतिहास है ,, ऐसे में क्या धार्मिक सहिष्णु देश में अन्य धर्म के लोगों को स्वतः ही हिंदुत्व में महान स्थान प्राप्त गायो का आदर करना या उनसे ऐसी अपेक्षा रखना अपराध है ? यदि गोहत्या हो रही है उसका विरोध करना कैसे साम्प्रदायिकता हो सकती है ! किन्तु जैसा कि दादरी में हुआ वो निंदनीय है !
अब इस मीडिया से कुछ प्रश्न हैं –

१. ऐसी घटनाएँ पूर्व में भी होती रही हैं , इसमें कोई संदेह नही की दादरी की घटना बहुत निंदनीय है ये नहीं होना चाहिए किन्तु बिना किसी जाँच के आप लोग इस निष्कर्ष पर कैसे पहुँच गये कि इसके लिए हिंदुत्व दोषी है ?

२. जब पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी राज्य -सरकार की है तो आप उनके जवाब केंद्र सरकार से कैसे कर सकते हैं ? बात जब बीजेपी शासित राज्य की हो क्या तभी राज्य सरकारों की भूमिका होती है ?

३ . जब बकरीद पर लाखों करोडो जानवरों की सामूहिक हत्या होती है और उसे किसी विशेष समुदाय की धार्मिक -भावनावो से जोड़ कर कोई सवाल नही उठा सकता तो उसी प्रकार हिन्दुवों की भावनावो को ध्यान में रखकर गोमांस -प्रतिबंध पर क्यों सवाल उठाये जाते हैं ?

४. आप लोगो ने पिछले दस सालो में राज्यों में होने वाले दंगो के लिए मनमोहन सिंह से क्यों नहीं सवाल पूछा ?

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