Menu
blogid : 5460 postid : 1283317

धर्म और भावनाएं

मन के मोती
मन के मोती
  • 27 Posts
  • 51 Comments

अगर वेशभूषा ,उपासना -पद्धति,भाषा और रीति रिवाज रूपी संघात को धर्म का नाम दिया जाए तो उसकी भावनाएं भी आहत होंगी और फलस्वरूप हिंसा भी फैलेगी ! ‘धर्म’ शब्द संस्कृत के ‘धृ’ धातु से बना जिसका अर्थ है :-धारण करना ! महाभारत में महर्षि जाजालि ने भी कहा की धर्म वो है जो सबको संभाले , सबको धारित करे और जिससे सभी सुरक्षित हों ! जिस मनु स्मृति को आज राजनैतिक कारणों से घृणित बना दिया गया है उसमें भी धर्म के दस लक्षण बताये गये हैं यथा :-
“धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रिय निग्रहः।
धी र्विंधा सत्यमक्रोधो दशकं धर्म लक्षणम्।।”
यहाँ किसी वेशभूषा अथवा उपासना पद्धति का उल्लेख नही किया गया है ! आज इस धर्म शब्द को रिलिजन का पर्याय बताकर इसे हिंसा को प्रश्रय देने वाले शब्द के रूप में प्रतिष्ठित किया जा रहा है ! राजनीति को रिलिजन से मुक्त करने की मांग की जगह राजनीती को धर्म से अलग रखने की मांग उठती है ! रिलिजन क्या है ये भी देखना जरुरी होगा !
religion
rɪˈlɪdʒ(ə)n/
noun
noun: religion

the belief in and worship of a superhuman controlling power, especially a personal God or gods.

इससे आपको स्पष्ट हो जाना चाहिए की धर्म और रिलिजन में क्या अंतर है ! आप हिन्दू -मुस्लिम करते रहिये ! एक दूसरे की मान्यतावों का खंडन -मंडन करते रहिये किन्तु धर्म को इस चक्कर में विकृत मत कीजिए ! धर्म इन सब बातों से ऊपर है ! वो सबको धारित कर सकता है और किया हुआ है !
धर्म आपको जड़ नही बनाता वो आपको अधिकाधिक अन्वेषण को मुक्त करता है ! कोई भी पंथ हो वो जड़ हो चुकी मान्यतावों और परम्परावों से आगे बढे , सिर्फ धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं ये अलापकर अपने ही अनुयायियों का भावनात्मक शोषण ना करें ! समाज से डरना ठीक है लेकिन समाज और व्यक्ति में कौन मुख्य है , इस बहस में समाज को क्यों मुख्य बताया जाता है , समाज से डर की सीमा भी वही है ! बस उतना ही डरें जिससे समाज की उपयोगिता भंग न हो लेकिन अगर समाज एक परंपरा और रिवाज के नाम पर जड़ हो चला है तो उस डर को उतार फेंकिये ! अगर आपको धर्म समझना है या इसे लेकर कोई भी भ्रम हो तो एक सूत्र वाक्य रट लीजिये :-
“अगर किसी की भावनाएं आहत होती हैं तो वो धर्म नही है ! “

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh